WhatsApp में End to End Encryption का सच

webinHindi.com

आपने अपने मोबाइल में WhatsApp या कोई app चलाते समय “end to end encrypted” लिखा हुआ जरुर देखा होगा।  आइये इसका क्या मतलब है समझते हैं...

कई बार हमें किसी भी एप्प का उपयोग करते समय अपने डाटा को लेकर चिंताएं होती हैं. हमें डर होता है की हमारा डाटा किसी गलत व्यक्ति के हाथ न लग जाये...

व्हाट्सप्प का उपयोग करते समय भी लोगों को चिंता होती है की कहीं कोई व्हाट्सप्प हैक करके उनके चैट्स न पढ़ ले 

कई मामलों में यह बहुत ही खतरनाक हो सकता है जैसे सरकार की गोपनीय बातचीत, गुप्त जानकारियाँ, सुरक्षा सम्बन्धी डाटा, बिज़नेस डील से जुडी जानकारियां आदि के हैक होने का खतरा बढ़ जाता है। 

इन समस्याओं से बचने के लिए व्हाट्सप्प ने साल 2012 से अपने एप्प में "एंड टू एंड एन्क्रिप्शन" का उपयोग करना शुरू कर दिया था...

एंड टू एंड एन्क्रिप्शन इन्टरनेट पर communication की एक ऐसी तकनीक है जिसमे दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत और उनके बीच आदान-प्रदान होने वाले डाटा को कोई तीसरा व्यक्ति नही देख सकता। 

अगर आपको किसी एप्प में “एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड” लिखा हुआ दिखे तो आपको यह समझ जाना चाहिए की उस एप्प में सुरक्षा के लिए आपके information को encrypt किया जाता है। 

Encryption की मदद से इन सभी डेटा को एक ऐसे फार्मेट में बदल दिया जाता है जिसे केवल डाटा भेजने और प्राप्त करने वाले व्यक्ति का डिवाइस ही डिकोड कर पाता है और उसे पढ़ पाता है। 

एंड टू एंड एन्क्रिप्शन का उपयोग करने के कई सारे फायदे हैं, आइये उन फायदों के बारे में जानते हैं...

1. डाटा हैकिंग से आपको बचाता है:  डाटा को अनलॉक करने के लिए केवल आपके पास ही प्राइवेट की होता है यदि कोई हैकर बिना के के उसे अनलॉक नहीं कर पाएगा। 

2. आपकी प्राइवेसी की सुरक्षा करता है:   इससे आपकी निजी जानकारी सुरक्षित रहती है यहां तक कि सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनी, टेलीकॉम ऑपरेटर आदि भी आपके data को read नहीं कर सकते। 

3. सरकार या कोई कंपनी आपकी जासूसी नही कर सकता:  इंटरनेट पर कई प्लेटफार्म हैं जहां पर डाटा इंक्रिप्टेड फॉर्म में नहीं होते जिसे सरकार या कोई कंपनी चाहे तो एक्सेस कर आपके ऊपर निगरानी कर सकता है।

पढ़िए: WhatsApp में End to End Encryption क्या है? इसके फायदे और नुकसान क्या हैं?

Arrow