FTP क्या है? यह कैसे काम करता है? पूरी जानकारी हिंदी में
यदि आपने कभी FTP शब्द के बारे में सुना है या आप जानना चाहते हैं की आखिर FTP क्या है? (What is FTP in Hindi) और यह काम कैसे करता है तो आपको यह article जरुर पढना चाहिए।
आज इस आर्टिकल में हम आपको एफटीपी के इतिहास, इसके फायदे, नुकसान आदि के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश करेंगे हमें उम्मीद है इसे पढने के बाद एफटीपी को लेकर आपके मन में उठ रहे सारे सवालों के जवाब आपको मिल जायेंगे।
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FTP क्या है? (What is FTP in Hindi?)
FTP का full form File Transfer Protocol है। जैसा की नाम से पता चल रहा है की इसका उपयोग एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर के बीच फाइल ट्रान्सफर करने के लिए किया जाता है।
एफटीपी एक प्रकार का प्रोटोकॉल है जो की दो systems के बीच फाइलों के आदान-प्रदान के लिए set of rules यानी की कुछ नियमों को निर्धारित करता है।
FTP protocol बहुत ही पुराना प्रोटोकॉल है और आज भी इसका उपयोग हो रहा है इसके बावजूद कई सारे internet users ऐसे भी होंगे जिन्हें अभी तक FTP के बारे में पता नही होगा, लेकिन यदि आप कोई वेबसाइट बनाने जा रहें हैं तो आपके लिए यह बहुत ही उपयोगी tool साबित हो सकता है।
जब कोई web developer वेबसाइट बनाता है तो उस वेबसाइट के files को सर्वर पर upload करना होता है और इस काम के लिए FTP का उपयोग किया जाता है जो की बड़े-बड़े फाइलों को सर्वर पर अपलोड, डाउनलोड, रीनेम, डिलीट, कॉपी और मूव करने में मदद करता है।
FTP का इतिहास
FTP को सबसे पहले अभय भूषण द्वारा 1971 में develop किया गया था तब वे MIT में पढाई कर रहे थे।
शुरुआत में इसका उपयोग ARPANET Network Control Program यानी NCP (मॉडर्न इंटरनेट की शुरुआत से पहले) पर server और computers के बीच सुरक्षित तरीके से file transfer करने के लिए किया जाता था।
बाद में NCP की जगह TCP/IP यानि की मॉडर्न इंटरनेट का उपयोग होने लगा। जैसे-जैसे internet पर बदलाव होते गये FTP को भी update किया जाता रहा।
एक समय ऐसा भी आया की कंप्यूटर में लगे firewall की FTP connection में परेशानिया आने लगीं जिससे निपटने के लिए एफटीपी को firewall friendly बनाया गया जिसके लिए passive mode add किया गया।
कई सारे बदलाव के बाद में सुरक्षा कारणों से FTPS और SFTP को बनाया गया जिनकी वजह से यह पहले से ज्यादा सुरक्षित हो गया है।
FTP का कैसे उपयोग किया जाता है?
एफटीपी के द्वारा web server पर फाइल अपलोड करने के लिए आप नीचे दिए गये तीन तरीके का उपयोग कर सकते हैं:
- Command-line FTP के जरिये: आपने command line का कभी न कभी उपयोग जरुर किया होगा, हर operating systems चाहे वह Windows हो, Linux हो या Mac OS हो सभी में FTP के लिए कुछ built-in command दिए होते हैं जिनका उपयोग करके FTP site से connect हो सकते हैं।
- Web Browser का उपयोग करके: आप सीधे web browser का भी use कर सकते हैं इसके लिए आपको address bar में http:// की जगह ftp:// लिखना होगा और साथ में आपको username और password में url में type करना होगा। ब्राउज़र पर एड्रेस कुछ इस तरह होगा: ftp://username:[email protected]/
- Graphical FTP Client का उपयोग करके: आप graphical FTP client का भी use कर सकते हैं जो की एक प्रकार का application होता है और जिसका interface बहुत ही user friendly और आसान होता है। यदि आप विंडोज use कर रहें हैं तो FileZilla नाम का application आप इन्टरनेट से मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।
FTP कैसे काम करता है?
अब चलिए समझते हैं की आखिर एफटीपी प्रोटोकॉल काम कैसे करता है। इसके लिए सबसे पहले यूजर के सिस्टम में FTP client install होना चाहिए इसके अलावा server से connection स्थापित करने के लिए आपके पास username और password होनी चाहिए।
File transfer करने के लिए FTP दो प्रकार के connection का उपयोग करता है:
- Control Connection: इसका उपयोग connection को open या close करने और server को command भेजने के लिया किया जाता है।
- Data Connection: Connection स्थापित होने बाद data connection के माध्यम से client-server के बीच फाइल ट्रान्सफर किया जाता है।
Client द्वारा port नंबर 21 पर control connection शुरू किया जाता है कनेक्शन स्थापित होने पर client द्वारा commands भेजे जाते हैं और command के अनुसार server port number 20 पर data connection शुरू करता है और इसी data connection के जरिये फाइलों को ट्रान्सफर किया जाता है। FTP दो अलग-अलग modes पर काम कर सकता है:
- Active Mode
- Passive Mode
Active Mode:
- Active mode में client किसी भी port number (greater than 1023) का उपयोग करके FTP server के port 21 पर connect हो जाता है यानी control connection को open कर देता है।
- इसके बाद client अपना port number सर्वर की बताता है जिसपर data connection establish करना है।
- client का पोर्ट नंबर मिलने के बाद सर्वर अपने port 20 से client के port number पर data connection को open कर देता है।
Passive Mode:
- Passive mode में client किसी भी port number (greater than 1023) से FTP server के port 21 पर command connection को open करता है।
- FTP client उस कमांड कनेक्शन के माध्यम से सर्वर को PASV command भेजता है।
- FTP server उसी command connection से अपना port number FTP client को बताता है।
- एफटीपी client की तरफ से क्लाइंट के पोर्ट नंबर और सर्वर द्वारा बताये गये पोर्ट नंबर के बीच data connection open कर दिया जाता है।
FTP और HTTP में क्या अंतर है?
- FTP के द्वारा two-way communication किया जा सकता है यानी की हम सर्वर से किसी फाइल को client system पर copy या move कर सकते हैं और client के कंप्यूटर से किसी फाइल को सर्वर upload कर सकते हैं।
- HTTP one-way communication system पर काम करता है जो की server से text, images, videos आदि को client के browser पर display करता है।
- एफटीपी के द्वारा user सर्वर की directory structure को देख सकता है जबकि HTTP में इसे hide किया जा सकता है।
- बड़े-बड़े files के transfer के लिए एफटीपी बेहतर है जबकि छोटे-छोटे data को ट्रान्सफर करने के लिए HTTP का उपयोग करना बेहतर है।
- एफटीपी में कोई फाइल सर्वर से transfer हो कर client के कंप्यूटर पर automatically save हो सकता है लेकिन HTTP में user को अपने browser पर दिख रहे content को खुद से सेव करना होता है।
- FTP में data transfer के लिए binary encoding का उपयोग होता है जबकि HTTP में MIME format का use होता है।
FTP के क्या-क्या फायदे हैं? – Advantages of FTP in Hindi
- FTP client के जरिये आप एक से अधिक files के अलावा multiple directories को एक साथ transfer कर सकते हैं।
- फाइलों को तेज़ गति से ट्रान्सफर करना एफटीपी का सबसे बड़ा advantage है।
- यदि ट्रान्सफर के समय connection loss हो जाए तो परेशान होने की जरुरत नही है आप बाद में उसे continue कर सकते हैं। आप चाहें तो बीच में transfer को pause भी कर सकते हैं और बाद में resume भी कर सकते हैं।
- आप file या directory transfer को schedule भी कर सकते हैं यानी आपके बताये गये समय पर यह automatic अपना काम कर सकता है।
- FTP पर auto backup की सुविधा भी जो की बड़े काम की चीज है।
FTP के क्या-क्या नुकसान हैं?- Disadvantages of FTP in Hindi
- सारे FTP servers encryption की सुविधा नही देते हैं और बिना encryption के data transfer करना सुरक्षित नही है।
- अगर आपका पासवर्ड कमजोर है तो brute force attack के जरिये अलग-अलग password combination बना कर hackers आपके password को guess कर सकते हैं।
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- प्रॉक्सी सर्वर क्या है? इसका कैसे उपयोग करें? पूरी जानकारी – Proxy Server in Hindi
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FTPS क्या है?
FTPS का full form “File Transfer Protocol – Secure” या “File Transfer Protocol – SSL” है। जैसा की हमने बताया FTP बहुत ही पुराना protocol है जो की सन 1971 से चलता आ रहा है और उस समय data encryption use नही किया जाता था ऐसे में जाहिर सी बात है की एफटीपी में data secure नही है और यही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है।
एफटीपी की इसी कमजोरी को दूर करने के लिए FTPS यानी File Transfer Protocol Secured को बनाया गया जो की FTP की तरह ही काम करता है लेकिन इसमें सभी data encrypted होते हैं जिन्हें आसानी से हैक करके read नही किया जा सकता। आजकल ज्यादातर FTPS का ही उपयोग किया जाता है।
SFTP क्या है?
SFTP का full name “SSH File Transfer Protocol” है। FTPS और SFTP के बीच अंतर यह है की SFTP में secured connection के लिए SSH यानि Secure Shell का उपयोग होता है जबकी FTPS में FTP protocol का use होता है।
SFTP एक तरह का binary protocol है जिसमे सारे commands binary में convert होकर packets के form में सर्वर को भेजे जाते हैं जिससे की फाइल ट्रान्सफर और भी secured और fast हो जाता है।
एफटीपी में user id, password और certificate को authentication के लिए use जाता है जबकि SFTP connection में authentication के लिए user id, password के अलावा SSH keys का भी उपयोग किया जा सकता है।
हमें उम्मीद है एफटीपी के बारे में यह जानकारियाँ आपको पसंद आई होंगी यदि आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी बात जरूर रखें।